लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, किन्नर समाज की पहली आचार्य महामंडलेश्वर और प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता, एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में उभरी हैं। उनका जीवन न केवल किन्नर समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि उनके संघर्ष और आत्मसम्मान की कहानी समाज के हर वर्ग के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जन्म 13 दिसंबर 1980 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में हुआ, जहां सामाजिक अपेक्षाएं और धार्मिक मान्यताएँ अत्यधिक प्रभावशाली थीं। बचपन में ही लक्ष्मी को अपनी लिंग पहचान के बारे में संदेह होने लगा, और उन्होंने अपने अस्तित्व को लेकर कई चुनौतियों का सामना किया।
लक्ष्मी ने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद भरतनाट्यम में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके साथ ही, उन्होंने अपने डांस कौशल को निखारने के लिए कई प्रतिष्ठित कलाकारों से प्रशिक्षण लिया। उनके जीवन की यह कला यात्रा उनके आत्म-निर्भर और सशक्त बनने के रास्ते में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

किन्नर समाज के लिए संघर्ष
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जीवन किन्नर समुदाय के लिए एक महान संघर्ष का प्रतीक है। 2002 में, उन्होंने ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन की शुरुआत की, जो किन्नर समुदाय के लिए न्याय और समानता की लड़ाई लड़ता है। इसके बाद, उन्होंने अपनी आवाज़ को वैश्विक मंचों तक पहुँचाया और 2006 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ट्रांसजेंडर अधिकारों पर अपनी बात रखी। वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र की पहली ट्रांसजेंडर प्रतिनिधि बनीं।
लक्ष्मी त्रिपाठी की कड़ी मेहनत और संघर्षों के कारण, 2014 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को ‘तीसरे लिंग’ के रूप में मान्यता दी, जिससे किन्नर समुदाय को आधिकारिक पहचान मिली। इस फैसले से भारत में ट्रांसजेंडर अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया।
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर
2015 में, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े की पहली आचार्य महामंडलेश्वर (प्रमुख संत) के रूप में नियुक्त किया गया। यह किन्नर समाज के लिए एक ऐतिहासिक कदम था, क्योंकि अब इस समुदाय को धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से सम्मानित किया गया था। लक्ष्मी ने किन्नर समुदाय को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ समाज में उनकी स्वीकार्यता और सम्मान बढ़ाने के लिए कार्य किया।
विवाद और पद से हटाया जाना
31 जनवरी 2025 को, किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से आचार्य महामंडलेश्वर का पद छीन लिया। इसके अलावा, ममता कुलकर्णी को भी इस पद से हटा दिया गया। यह निर्णय किन्नर अखाड़े के भीतर विवादों के बाद लिया गया, विशेष रूप से ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने को लेकर।
फिल्म और मीडिया में उपस्थिति
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अपनी संघर्षपूर्ण यात्रा के साथ-साथ भारतीय मीडिया में भी अपना स्थान बनाया। 2011 में, उन्होंने सलमान खान के लोकप्रिय टीवी शो “बिग बॉस” के पांचवें सीज़न में भाग लिया, जिससे उन्होंने किन्नर समाज की समस्याओं को बड़े पैमाने पर उठाया। इसके बाद, उन्होंने “Queens! Destiny of Dance” फिल्म में भी अभिनय किया और अपनी कला का प्रदर्शन किया।
समाज सेवा और भविष्य की दिशा
लक्ष्मी त्रिपाठी समाज में समानता और न्याय के लिए निरंतर संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने Astitva Trust नामक एक संगठन की स्थापना की, जो ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान और कल्याण के लिए काम करता है। उनका मानना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर मिलना चाहिए।
वर्तमान में, लक्ष्मी त्रिपाठी “Kineer Services Pvt Ltd“ नामक कंपनी की सह-संस्थापक हैं, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को रोजगार और व्यवसाय के अवसर प्रदान करती है।
जीवन दर्शन
लक्ष्मी का कहना है, “मेरी जिंदगी एक उत्सव की तरह है, जिसमें हर रंग के अनुभव शामिल हैं। अच्छे और बुरे दोनों। मुझे गर्व है कि मैं एक किन्नर हूं और मैंने अपने अस्तित्व को समाज में स्वीकृति दिलाई।”
उनका जीवन न केवल किन्नर समुदाय के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने हमेशा यह साबित किया है कि आत्म-स्वीकृति, संघर्ष, और साहस से किसी भी सामाजिक स्थिति को बदला जा सकता है।
निष्कर्ष
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जीवन संघर्ष, साहस और सफलता का प्रतीक है। वह केवल किन्नर समुदाय के लिए एक प्रेरणा नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए समानता, प्रेम, और सम्मान के आदर्श हैं। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, और उनकी उपलब्धियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शन का काम करेंगी।
FAQs – लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी
1. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी कौन हैं?
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर समाज की एक प्रमुख महिला नेता, अधिकारों की कार्यकर्ता और आध्यात्मिक नेता हैं। उन्होंने 2002 में ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए एक एनजीओ की स्थापना की और भारतीय सुप्रीम कोर्ट से ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किन्नर अखाड़े की स्थापना क्यों की?
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने 2015 में किन्नर अखाड़ा स्थापित किया, ताकि किन्नर समुदाय को आध्यात्मिक अधिकार मिले और समाज में उनकी मान्यता बढ़े। यह अखाड़ा समाज में ट्रांसजेंडरों की स्थिति को सुधारने के लिए काम करता है।
3. क्या लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पद से हटा दिया गया है?
जी हां, 31 जनवरी 2025 को किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया है। इसके साथ ही ममता कुलकर्णी को भी उनके पद से हटा दिया गया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था।
4. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का योगदान क्या है?
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं। उनका सबसे बड़ा योगदान 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीसरे लिंग की मान्यता दिलाने में था। इसके अलावा, वे समाज में समानता और न्याय के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं।
5. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की जीवनी पर आधारित कौन-कौन से टीवी शोज और फिल्में बनाई गई हैं?
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की जीवन यात्रा पर आधारित 2005 में एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई थी जिसका नाम था “Between the Lines: India’s Third Gender”। इसके अलावा, वे 2011 में बिग बॉस के शो का हिस्सा रही थीं और 2012 में उनकी आत्मकथा “Me Hijra, Me Laxmi” प्रकाशित हुई थी।