प्रश्न: “अगर हम अपनी गलतियों का पश्चाताप करें, तो क्या भगवान माफ करेंगे?”
यह सवाल आजकल के दौर में बहुत से लोग मन में रखते हैं। इसी सवाल का उत्तर देने के लिए प्रेमानंद जी महाराज ने एक गहरे और सत्यात्मक दृष्टिकोण से जवाब दिया है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि जीवन की सच्चाइयों को समझने की ओर भी इशारा करता है।
महाराज जी का कहना है कि जब कोई व्यक्ति अपनी गलती का पश्चाताप करता है, तो भगवान उसे माफ कर सकते हैं, बशर्ते वह सच्चे दिल से अपनी गलती को समझे और भविष्य में वही गलती न दोहराए। केवल पछताने और प्रार्थना करने से ही माफी नहीं मिलती; बल्कि उस पछतावे का वास्तविक रूप तब सिद्ध होता है जब हम उस गलती को दोबारा न करने का दृढ़ संकल्प लें। जब हम दिल से यह महसूस करते हैं कि वह गलती हमें दुबारा नहीं करनी है, और हम भगवान से सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, तो भगवान की कृपा से वह ‘भस्म’ हो जाती है।

लेकिन, यदि कोई अपराध गंभीर या असाधारण है, तो केवल पश्चाताप से काम नहीं चलता। ऐसी स्थितियों में हमें अतिरिक्त प्रयास करने होते हैं, जैसे विशेष व्रतों का पालन (जैसे चंद्रायण व्रत), भागवत का अनुष्ठान, और अन्य धार्मिक कार्य जो हमें उस पाप या अपराध के प्रायश्चित के रूप में करना पड़ता है।
साधारण गलती के लिए पश्चाताप से ही काम चल सकता है, लेकिन असाधारण या बड़े अपराध के लिए हमें गहरी साधना और विशेष उपायों की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष: प्रश्चाताप तब तक प्रभावी नहीं होता जब तक हम सच्चे दिल से उसे महसूस नहीं करते और भविष्य में उसी गलती को दोहराने से बचने का संकल्प नहीं लेते। केवल पश्चाताप से माफी नहीं मिलती, बल्कि हमारी मेहनत, धार्मिक साधना, और हृदय से की गई प्रार्थना की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।