कितने नाम जप से क्या होता है – श्री प्रेमानंद जी महाराज की अमृत वाणी

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सनातन धर्म में हरि नाम का जप अत्यंत शक्तिशाली साधना मानी जाती है। श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने नाम जप के महत्व को सहज भाषा में समझाया है कि कितने नाम जपने से साधक को कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं। यह लेख उसी अमृतवाणी पर आधारित है, जो जीवन को बदलने की प्रेरणा देती है।

नाम जप से प्राप्त होने वाले लाभ – संख्या के अनुसार

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🪔 1 करोड़ नाम जप:

  • मन और शरीर की पवित्रता प्राप्त होती है।
  • रजोगुण और तमोगुण का नाश होकर सात्विकता का उदय होता है।

🪔 2 करोड़ नाम जप:

  • धन की लालसा समाप्त हो जाती है।
  • साधक को बिना मांगे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

🪔 3 करोड़ नाम जप:

  • काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर जैसे आंतरिक शत्रुओं पर विजय मिलती है।
  • चित्त शुद्ध और शांत होता है।

🪔 4 करोड़ नाम जप:

  • साधक को भगवदानंद की अनुभूति होने लगती है।
  • द्वंद्व से मुक्ति मिलती है।

🪔 5 करोड़ नाम जप:

  • ब्रह्मविद्या और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • साधक की मनोकामनाएँ स्वतः पूरी होने लगती हैं।

🪔 6 करोड़ नाम जप:

  • आत्मबोध का अनुभव होता है।
  • स्वप्न में देव-दर्शन और ऋषियों के संकेत मिलने लगते हैं।

🪔 7 करोड़ नाम जप:

  • इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
  • साधक पवित्रता की चरम स्थिति में पहुँचता है।

🪔 8 करोड़ नाम जप:

  • मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
  • साधक आत्मा के स्वरूप में स्थित होकर भयमुक्त जीवन जीता है।

🪔 9 करोड़ नाम जप:

  • भगवान के साक्षात दर्शन की संभावना प्रबल हो जाती है।
  • साधक की वाणी सत्य वचनों से युक्त होती है।

🪔 10 करोड़ नाम जप:

  • सारे संचित कर्म भस्म हो जाते हैं।
  • साधक को आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है।

🪔 11 करोड़ नाम जप:

  • भक्ति, ज्ञान, योग, तप जैसी समस्त सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
  • साधक सहज रूप से सिद्ध पुरुष बन जाता है।

🪔 12 करोड़ नाम जप:

  • भगवान स्वयं साधक के अधीन हो जाते हैं।
  • हर कार्य में ईश्वरीय सहयोग प्राप्त होता है।

🪔 13 करोड़ नाम जप:

  • साधक केवल स्वयं नहीं, बल्कि दूसरों को भी मोक्ष प्रदान कर सकता है।
  • वह जगत का कल्याणकर्ता बन जाता है।

नाम जप के नियम – सही विधि से करें जाप

नाम जप के नियम – सही विधि से करें जाप
  1. जल्दीबाजी न करें: ध्यानपूर्वक नाम जप करें।
  2. नाम को सुनें: जप करते समय अपने ही उच्चारण को कानों से सुनें
  3. गिनती पर नहीं, भावना पर ध्यान दें।
  4. कीर्तन, भजन और धुनों में नाम गाना भी प्रभावी है।
  5. गुरु और आराध्य की छवि पास रखें।

निष्कर्ष

श्री प्रेमानंद जी महाराज की यह वाणी हमें सिखाती है कि सच्चे हृदय से किया गया नाम जप ही जीवन का सबसे बड़ा साधन है। केवल संख्या नहीं, श्रद्धा, प्रेम और निरंतरता ही नाम जप की सफलता का रहस्य है। आज से ही हर दिन कुछ समय नाम जप में लगाएँ – यह न केवल मनोकामनाएँ पूरी करेगा, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष की ओर ले जाएगा।

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