📅 देवशयनी एकादशी 2025 में कब है?
आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। साल 2025 में यह शुभ तिथि 17 जुलाई, गुरुवार को पड़ रही है। इस दिन से भगवान विष्णु की योगनिद्रा का आरंभ होता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
🛏️ भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्यों सो जाते हैं?

देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह चार महीने की नींद चातुर्मास कहलाती है। इस दौरान भगवान श्रीहरि भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक और श्रावण तक निद्रावस्था में रहते हैं और प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादशी) को जागते हैं।
📖 पुराणों के अनुसार:
श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, जब सृष्टि में अत्यधिक पाप बढ़ जाता है, तो भगवान योगनिद्रा में जाते हैं ताकि ब्रह्मांड की गति को संतुलित रखा जा सके और भक्तगण तपस्या व साधना से अपने आत्मबल को बढ़ा सकें।
🔱 देवशयनी एकादशी का महत्व
- इस दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिसमें तप, व्रत, पूजा और भक्ति को विशेष महत्व दिया जाता है।
- इस समय विवाह, गृह प्रवेश, नए कार्य की शुरुआत आदि शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
- इस एकादशी को व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
🙏 व्रत विधि (Devshayani Ekadashi Vrat Vidhi)
- व्रती को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- भगवान विष्णु का पीले फूल, तुलसी पत्र, पंचामृत से पूजन करें।
- विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- दिनभर निराहार या फलाहार रहकर व्रत करें।
- रात्रि में जागरण करें और विष्णु भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं।
📿 4 महीने क्यों होते हैं खास?
चातुर्मास के ये चार महीने आध्यात्मिक उन्नति के लिए सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं। इस दौरान:
- जप, तप, ध्यान करना अत्यधिक फलदायी होता है।
- मांसाहार, प्याज, लहसुन, शराब आदि का त्याग करना चाहिए।
- अधिक से अधिक मंत्र जाप, भागवत कथा श्रवण, रामचरितमानस पाठ करें।
🧘 निष्कर्ष
देवशयनी एकादशी आत्मचिंतन, भक्ति और संयम का पर्व है। इस दिन से हम अपने जीवन को एक नई आध्यात्मिक दिशा दे सकते हैं। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए यह व्रत जरूर करें और इन चार महीनों में अपने मन, वाणी और कर्म को पवित्र बनाए रखें।