मोरारी बापू, जिनका जन्म 25 सितंबर 1947 को गुजरात के तलगाजरडा गांव में हुआ था, एक प्रमुख हिन्दू आध्यात्मिक गुरु और रामकथा वाचक के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। उनका असली नाम मोरारिदास प्रभुदास हरियाणी है। वह अपनी रामकथा की शैली और गहरे आध्यात्मिक संदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं। मोरारी बापू का जीवन सत्य, प्रेम और करुणा के सिद्धांतों से प्रेरित है। उनका संदेश न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी लाखों लोगों को जागरूक कर रहा है।
प्रारंभिक जीवन (Early Life)
मोरारी बापू का जन्म एक धार्मिक वैष्णव परिवार में हुआ था। उनके दादा त्रिभोवनदास बापू, जिन्हें बापू ने अपना गुरु माना, रामचरितमानस की चौपाइयां सिखाते थे। मोरारी बापू का पालन-पोषण ऐसे माहौल में हुआ, जिसमें वे धार्मिक ग्रंथों और संस्कृत भजनों से गहरे रूप से जुड़े हुए थे। उन्होंने 14 वर्ष की उम्र में अपने गुरु के मार्गदर्शन में रामकथा का वाचन शुरू किया।

शिक्षा (Education)
मोरारी बापू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तलगाजरडा के सरकारी स्कूल से प्राप्त की और बाद में जूनागढ़ के शाहपुर कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की। हालांकि, उनका मन अधिकतर रामकथा और अध्यात्म में रमता था।
आध्यात्मिक यात्रा (Spiritual Journey)
मोरारी बापू की आध्यात्मिक यात्रा 1966 में गुजरात के गांधीनगर में शुरू हुई, जब उन्होंने पहली बार रामकथा सुनाई। इसके बाद, उन्होंने भारत और विदेशों में रामकथा के कई कार्यक्रम किए। उन्होंने 1976 में केन्या के नैरोबी में अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय रामकथा दी, जिससे उनका नाम दुनियाभर में प्रसिद्ध हुआ।
संदेश (Message)
मोरारी बापू का मुख्य संदेश है – सत्य, प्रेम और करुणा। वे मानते हैं कि इन तीन तत्वों का पालन करके हम अपने जीवन को शांत और समृद्ध बना सकते हैं। बापू के अनुसार, रामकथा सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा देती है।
उनकी कथाओं में न केवल भगवान राम के जीवन का वृतांत होता है, बल्कि वह समाज को प्रेम, समानता और अहिंसा के प्रति जागरूक करने की कोशिश करते हैं।
मोरारी बापू और समाज सेवा (Morari Bapu and Social Work)
मोरारी बापू ने हमेशा समाज के शोषित और हाशिए पर खड़े लोगों के लिए कार्य किया है। उन्होंने यौनकर्मियों, ट्रांसजेंडर्स और अन्य सामाजिक रूप से उपेक्षित वर्गों के लिए कई बार रामकथा का आयोजन किया और उनके कल्याण के लिए दान भी दिया। 2018 में अयोध्या में यौनकर्मियों के बीच रामकथा आयोजित की थी, जिसमें उन्होंने 3 करोड़ रुपये का दान देने का वादा किया था। इसके अलावा, 2016 में मुंबई में ट्रांसजेंडर्स के लिए भी उन्होंने रामकथा का आयोजन किया था, जिससे भारतीय एलजीबीटी समुदाय को समाज में सम्मान और समर्थन मिला।
राजनीतिक दृष्टिकोण (Political Views)
मोरारी बापू ने हमेशा राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण का समर्थन किया और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हमेशा समर्थन दिया। उनके अनुसार, राम मंदिर भारतीय संस्कृति और समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
परोपकार कार्य (Philanthropy Work)
मोरारी बापू के जीवन का एक अहम पहलू उनका परोपकार कार्य है। पुलवामा हमले के बाद उन्होंने शहीदों के परिवारों के लिए 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया था। इसके अलावा, 2017 में उन्होंने सूरत में शहीदों के परिवारों के लिए रामकथा का आयोजन किया और 200 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा।
वैश्विक प्रभाव (Global Impact)
मोरारी बापू की रामकथा ने दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित किया है। उन्होंने कई देशों में अपनी रामकथा का आयोजन किया है, जिनमें भारत, अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, केन्या, सिंगापुर, और दुबई शामिल हैं। उनका संदेश हर वर्ग, धर्म, और पंथ के लोगों तक पहुंचता है, और उनकी कथा का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, जिससे हर व्यक्ति को इसका लाभ मिल सके।
मोरारी बापू का परिवार (Morari Bapu Family)
मोरारी बापू का परिवार बहुत ही साधारण और धार्मिक है। उनके माता-पिता, प्रभुदास बापू और सावित्री बेन, ने उन्हें एक अच्छे धार्मिक माहौल में पाला। उनका विवाह नर्मदाबेन से हुआ है, और उनके चार बच्चे हैं – एक बेटा और तीन बेटियाँ।
उपसंहार (Conclusion)
मोरारी बापू का जीवन केवल एक आध्यात्मिक गुरु का जीवन नहीं है, बल्कि वह समाज को जागरूक करने, मानवता का प्रचार करने, और सत्य, प्रेम और करुणा के मूल्यों को फैलाने का एक मिशन है। उनकी रामकथा न केवल धार्मिक शिक्षा का माध्यम है, बल्कि यह जीवन जीने के सही तरीके का मार्गदर्शन भी देती है। मोरारी बापू का योगदान समाज में अमूल्य है, और उनका संदेश हर दिल में जगह बनाता है।
मोरारी बापू से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
मोरारी बापू का जन्म 25 सितंबर 1947 को गुजरात के भावनगर जिले के तलगाजरडा गाँव में हुआ था।
मोरारी बापू का असली नाम मोरारिदास प्रभुदास हरियाणी है।
मोरारी बापू ने 14 वर्ष की आयु में 1960 में अपनी पहली रामकथा तलगाजरडा गाँव में सुनाई थी।
मोरारी बापू का मुख्य संदेश सत्य, प्रेम और करुणा है। वे रामकथा के माध्यम से जीवन में शांति, सकारात्मकता और मानवता का प्रचार करते हैं।
मोरारी बापू का पहला अंतरराष्ट्रीय प्रवचन 1976 में केन्या के नैरोबी में हुआ था।
मोरारी बापू ने यौनकर्मियों, ट्रांसजेंडर्स और शहीदों के परिवारों के लिए कई समाज सेवा कार्य किए हैं। उन्होंने कई बार दान किए और समाज के निचले वर्ग के लिए रामकथा का आयोजन किया है।
मोरारी बापू के प्रवचन में कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। वे सभी को निःशुल्क रामकथा सुनाने का अवसर देते हैं।
मोरारी बापू ने पुलवामा हमले के बाद शहीदों के परिवारों के लिए एक लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की थी।