अमोघ लीला प्रभु: इंजीनियर से संत बनने तक की यात्रा और विवाद

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अमोघ लीला प्रभु (असली नाम – आशीष अरोड़ा) एक प्रसिद्ध भारतीय संत, धर्म प्रचारक और इस्कॉन के आधिकारिक सदस्य हैं। उनकी यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक रही है, जो पहले एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर थे, लेकिन बाद में भगवान श्री कृष्ण की उपासना के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। इस लेख में हम उनकी जीवन यात्रा, आध्यात्मिक विकास और हाल के विवादों पर चर्चा करेंगे।

Amogh Leela Prabhu spreading teachings of Bhagavad Gita

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अमोघ लीला प्रभु का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में हुआ था। उनका असली नाम आशीष अरोड़ा था। आशीष का बचपन साधारण था और उनका परिवार एक आम पंजाबी परिवार था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में ही प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

करियर में सफलता और आध्यात्मिक जागरूकता

आशीष ने 2004 में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और एक प्रमुख अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करना शुरू किया। वह एक सफल सॉफ़्टवेयर इंजीनियर थे और उनका करियर बहुत ही अच्छा चल रहा था। लेकिन उनका मन आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हो गया, और 2000 में, जब वे कक्षा 12 में थे, उन्होंने भक्ति मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

हालांकि, उन्होंने कुछ सालों तक सांसारिक जीवन भी जीने की कोशिश की, लेकिन 2010 में, उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया और इस्कॉन से जुड़ने का निर्णय लिया। वे ब्रह्मचारी बन गए और श्री कृष्ण के भक्ति मार्ग पर चल पड़े। उन्होंने द्वारका स्थित इस्कॉन मंदिर में वाइस चेयरमैन के रूप में सेवा करना शुरू किया और युवा धर्म प्रचारक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।

अधिकारिक स्थिति और धर्म प्रचार

अमोघ लीला प्रभु इस्कॉन के एक प्रसिद्ध प्रचारक के रूप में उभरे। वे धार्मिक आयोजनों में प्रवचन देने, भक्ति गीतों का प्रचार करने और युवाओं को कृष्ण भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने में सक्रिय थे। उनके प्रवचन और वीडियो सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो गए थे। वे अपनी सरल भाषा और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए पहचाने जाते थे।

विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के साथ विवाद

हाल ही में, अमोघ लीला प्रभु को स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में की गई टिप्पणियों के लिए विवाद का सामना करना पड़ा। उन्होंने एक प्रवचन में यह टिप्पणी की थी कि स्वामी विवेकानंद ने मछली खाई थी और यह सवाल किया था कि क्या एक सच्चे संत को मछली खाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने रामकृष्ण परमहंस के एक प्रसिद्ध विचार “जतो मत ततो पथ” पर भी प्रश्न उठाया, जो यह कहता है कि जितनी धाराएं हैं, उतने ही रास्ते हैं।

इन टिप्पणियों ने भारतीय समाज में तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की। इस्कॉन ने तत्काल कदम उठाया और उन्हें एक महीने तक सार्वजनिक रूप से सामाजिक संपर्क से दूर रहने का आदेश दिया, जिससे वे इस विवाद पर चिंतन कर सकें और अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांग सकें। अमोघ लीला प्रभु ने इस मुद्दे पर माफी मांगी और अपने शब्दों पर पुनर्विचार किया।

प्रेमानंद जी महाराज के साथ विवाद

हाल ही में एक और विवाद सामने आया, जब अमोघ लीला प्रभु ने प्रेमानंद जी महाराज के बारे में एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा कि “राधे राधे” बोलने से कृष्ण नहीं आएंगे, बल्कि कृष्ण के साथ राधा का नाम “राधे कृष्ण” बोलने से अधिक प्रसन्नता होगी। इस बयान ने कुछ भक्तों और समाज के एक हिस्से को नाराज कर दिया, और उन्होंने इसे प्रेमानंद जी महाराज का अपमान माना।

अमोघ लीला प्रभु ने इस विवाद को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका इरादा कभी भी प्रेमानंद जी महाराज का अपमान करने का नहीं था। उन्होंने यह बताया कि उनका सिर्फ यह उद्देश्य था कि कृष्ण और राधा के नाम एक साथ लिए जाएं, ताकि उनकी दिव्यता और एकता को महसूस किया जा सके। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की दुनिया अब बहुत संवेदनशील हो गई है और लोग छोटी-छोटी बातों को भी विवाद बना देते हैं।

निष्कर्ष

अमोघ लीला प्रभु का जीवन एक प्रेरणा है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी सांसारिक दुनिया को छोड़कर आत्म-ज्ञान और भक्ति की ओर मुड़ सकता है। उनकी यात्रा ने बहुत से लोगों को कृष्ण भक्ति की ओर आकर्षित किया है, लेकिन उनके विवादों ने यह भी दिखाया कि धार्मिक आस्थाओं और विचारों को लेकर समाज में काफी संवेदनशीलता है।

अमोघ लीला प्रभु की कहानी एक चेतावनी भी देती है कि कभी-कभी अच्छे इरादों से कहे गए शब्द भी गलत समझे जा सकते हैं, और हमें अपनी सोच और भाषा में संतुलन बनाए रखना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. अमोघ लीला प्रभु कौन हैं?

अमोघ लीला प्रभु, जिनका असली नाम आशीष अरोड़ा है, एक प्रसिद्ध संत और इस्कॉन के उपदेशक हैं। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग करियर को छोड़कर श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समाज सेवा को प्राथमिकता दी।

2. अमोघ लीला प्रभु को स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस पर टिप्पणी करने के लिए क्यों आलोचना मिली?

अमोघ लीला प्रभु ने एक अपने प्रवचन में स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के विषय में विवादित टिप्पणियाँ कीं, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। इस्कॉन ने इस पर तत्काल एक्शन लिया और उन्हें एक महीने के लिए समाज से अलग कर दिया।

3. प्रेमानंद जी महाराज के साथ विवाद क्या था?

अमोघ लीला प्रभु ने प्रेमानंद जी महाराज के “राधे राधे” और “राधे कृष्णा” बोलने के बारे में बयान दिए थे, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि उनका उद्देश्य कभी भी प्रेमानंद जी महाराज का अपमान करना नहीं था, बल्कि उनका मंतव्य श्री राधिका और श्री कृष्ण के नाम की महिमा को लेकर था।

4. अमोघ लीला प्रभु ने अपना इंजीनियरिंग करियर क्यों छोड़ा?

अमोघ लीला प्रभु ने अपने इंजीनियरिंग करियर को छोड़ दिया क्योंकि उन्हें लगा कि बाहरी सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण आत्मिक संतुष्टि और भगवान श्री कृष्ण की सेवा है। इसके बाद उन्होंने इस्कॉन से जुड़कर भक्ति मार्ग अपनाया।

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