प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने फिल्मी दुनिया से संन्यास लेकर एक नई आध्यात्मिक राह पकड़ी है। महाकुंभ 2025 के दौरान, ममता ने किन्नर अखाड़े में सन्यास लिया और उन्हें एक नया नाम श्री यामिनी ममतानंद गिरी दिया गया। उनका यह कदम उनके आध्यात्मिक सफर की ओर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है।

ममता कुलकर्णी का सन्यास और आध्यात्मिक परिवर्तन
ममता कुलकर्णी, जिन्होंने 90 के दशक में बॉलीवुड फिल्मों में अपने अभिनय से लाखों दिलों को जीता, अब किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में आध्यात्मिक जीवन को अपना चुकी हैं। महाकुंभ में आयोजित इस खास समारोह में ममता ने पिंड दान किया और किन्नर अखाड़े में उनकी पट्टाभिषेक (संस्कार ceremony) हुई।
ममता कुलकर्णी ने 23 साल पहले अपना जीवन सनातन धर्म की ओर मोड़ा था, और अब वह पूरी तरह से संन्यास लेने के बाद अपनी नयी पहचान मै ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी। किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर, आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की उपस्थिति में उन्होंने यह संस्कार सम्पन्न किया।
किन्नर अखाड़े में ममता का प्रवेश और उनका उद्देश्य
ममता कुलकर्णी ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत 2000 में की थी, जब उन्होंने गुरू श्री चैतन्य गगन गिरि से दीक्षा ली थी। पिछले 23 सालों में उन्होंने आत्मा की शुद्धि के लिए कठिन साधना की। ममता ने महाकुंभ में अपना पिन्ड दान स्वयं किया और किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में उन्हें औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया। इस दौरान ममता ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी बॉलीवुड लौटने का विचार नहीं किया था, बल्कि वह सनातन धर्म की सेवा में ही अपने जीवन को समर्पित करना चाहती हैं।
महाकुंभ में ममता कुलकर्णी की भावुकता
महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने संगम में पवित्र स्नान किया और साध्वी के रूप में अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका यह सौभाग्य है कि वह महाकुंभ के इस पवित्र क्षण की साक्षी बन रही हैं। उन्होंने आगे यह भी बताया कि वह अब मध्यम मार्ग (middle path) अपनाकर सनातन धर्म की सेवा करेंगी और पूरी दुनिया में इसके महत्व को फैलाएंगी।
23 साल की तपस्या का परिणाम
ममता ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “मैंने 23 साल तपस्या की, और जब मुझे यह सम्मान मिला, तो मुझे यह प्रमाणपत्र मिला कि मेरे पिछले 23 वर्षों की तपस्या सही दिशा में रही।” वह मानती हैं कि यह प्रक्रिया सिर्फ एक समर्पण है, जिसे उन्होंने पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनाया है।
बॉलीवुड से सन्यास का कारण
ममता ने कहा कि उनका बॉलीवुड छोड़ने का कोई दुख नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक अनुभव था। “मैंने बॉलीवुड छोड़ने का निर्णय अपनी खुशी और मानसिक शांति के लिए लिया था।”
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
महामंडलेश्वर बनने के लिए व्यक्ति को 12 साल की कठोर साधना करनी होती है। इसमें हर दिन 1,25,000 बार राम जाप करना और एक अनुशासित जीवन जीना होता है, जिसमें महज तीन-चार घंटे ही नींद ली जाती है। ममता कुलकर्णी ने यह यात्रा पूरी की और अब वह किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में अपने जीवन का यह महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी हैं।
FAQs: ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक सफर
ममता कुलकर्णी एक प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री हैं जिन्होंने 90 के दशक में कई हिट फिल्मों में काम किया। अब वे एक संन्यासी के रूप में अपने आध्यात्मिक सफर पर हैं।
ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड को 23 साल पहले छोड़ दिया था, क्योंकि वे शांति और आत्म-साक्षात्कार की तलाश में थीं। उन्हें इस निर्णय पर कोई पछतावा नहीं है।
ममता कुलकर्णी का नया नाम ‘यामाई ममता नंद गिरी’ है, जिसे उन्होंने महाकुंभ मेला 2025 में किन्नर अखाड़े से संन्यास लेने के बाद प्राप्त किया।
महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े से संन्यास लिया, पिंडदान किया, और महापट्टाभिषेक की प्रक्रिया से गुजरते हुए आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया।
ममता कुलकर्णी ने स्पष्ट किया है कि वे कभी भी बॉलीवुड में वापस नहीं लौटेंगी। उनका जीवन अब पूरी तरह से आध्यात्मिक साधना में समर्पित है।
महामंडलेश्वर बनने के लिए कड़ी साधना, 12 वर्षों का समर्पण, और कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। ममता कुलकर्णी ने भी इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया।