प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश: भगवान जो-जो कराए, वह करो और भविष्य की चिंता छोड़ दो

Share with Loved Ones

प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश जीवन के गहरे पहलुओं को उजागर करते हैं, जिनमें से एक प्रमुख विचार है—”भगवान जो-जो कराएं, वह करो और भविष्य की चिंता छोड़ दो।” यह उपदेश हमें सिखाता है कि हम अपनी पूरी शक्ति और विश्वास के साथ वर्तमान में जीएं और भविष्य की अनिश्चितताओं को भगवान पर छोड़ दें। आइए जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज ने अपने उपदेशों में कौन-कौन सी बातें साझा की और हमारे जीवन में उनका क्या महत्व है।

प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश - भगवान की इच्छा अनुसार जीवन जीने की कला

1. संकल्प का महत्व और भविष्य की चिंता छोड़ना

प्रेमानंद जी महाराज ने यह स्पष्ट रूप से बताया कि हमें संकल्प लेने से पहले यह समझना चाहिए कि हमारा जीवन किसी भी समय खत्म हो सकता है। वह कहते हैं, “हम संकल्प क्यों करें जब हमें यह भी भरोसा नहीं कि हम कल जीवित रहेंगे?” इस उपदेश का अर्थ है कि हम जो कुछ भी करते हैं, वह वर्तमान में करना चाहिए और भविष्य की अनिश्चितता को भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए।

उदाहरण: जैसे एक व्यक्ति यदि संकल्प करता है कि वह 108 परिक्रमा करेगा, तो उसे यह संकल्प करते समय यह सोचना चाहिए कि यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा या समय की कमी हो तो कोई अपराध नहीं होगा। संकल्प का पालन तब तक करना चाहिए जब तक शरीर और समय दोनों साथ दें।

2. भक्ति और भगवान के साथ विश्वास

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि भक्ति का असली रूप तब सामने आता है जब भक्त भगवान के आदेश को बिना किसी अपेक्षा के स्वीकार करता है। भक्त की सच्ची भक्ति तब दिखाई देती है जब वह भगवान से कोई स्वार्थ नहीं रखता, बल्कि उनका नाम और सेवा पूरी श्रद्धा से करता है।

उदाहरण: वे बताते हैं कि यदि हम भगवान से किसी वस्तु की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हम यह कह सकते हैं, “हे प्रभु, यदि यह आपके अनुकूल हो तो हमें यह दे देना, अन्यथा हम आपके इच्छानुसार संतुष्ट रहेंगे।” इस तरह की भक्ति से हमारे भीतर अहंकार मिटता है और हम भगवान के प्रति शरणागत भाव से जुड़ते हैं।

3. गुरु की महिमा और उनका मार्गदर्शन

प्रेमानंद जी महाराज ने गुरु की महिमा पर भी विशेष जोर दिया। वे बताते हैं कि गुरु की कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता। गुरु का मार्गदर्शन और आशीर्वाद भक्त के जीवन को सही दिशा में लाता है।

उदाहरण: एक प्रसंग के माध्यम से वे बताते हैं कि एक भक्त, जो अपने गुरु को शरणागत भाव से स्वीकार करता है, उसका अहंकार नष्ट हो जाता है और वह गुरु के आशीर्वाद से जीवन में सुख और शांति प्राप्त करता है। गुरु ही वह शक्ति है जो हमारे अज्ञान और अहंकार को समाप्त कर, हमें आत्मा के वास्तविक स्वरूप का बोध कराता है।

4. भगवान की लीलाएँ और उनका उद्देश्य

प्रेमानंद जी महाराज ने भगवान की तीन प्रमुख लीलाओं—सृजन, पालन और संहार—पर भी विस्तार से चर्चा की। वे बताते हैं कि भगवान के कार्य साकारात्मक होते हैं, चाहे वह सृजन हो, पालन हो या संहार। प्रत्येक लीला में भगवान का उद्देश्य भक्तों के कल्याण के लिए होता है।

उदाहरण: जैसे यशोदा माँ ने अपने बेटे श्री कृष्ण की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की और भगवान ने उनके बेटे को सुरक्षा दी, उसी तरह हमें भी भगवान के नाम में विश्वास रखते हुए अपने जीवन के प्रत्येक कार्य को भगवान के अधीन छोड़ देना चाहिए।

5. नम्रता और दैन्यता का महत्व

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि हमें हर समय नम्र और दीन बनकर रहना चाहिए। भगवान और गुरु के चरणों में समर्पित रहकर, हम अपने अहंकार को समाप्त कर सकते हैं। इसके द्वारा ही हम भगवान के प्रति वास्तविक भक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

उदाहरण: वे बताते हैं कि जब हम किसी बड़े संत या गुरु के पास जाते हैं, तो हमें अपनी बुद्धि को उनके सामने शून्य कर देना चाहिए। यदि हम अपनी बुद्धि और अहंकार को छोड़कर गुरु के आदेशों का पालन करते हैं, तो हमें सही मार्ग पर चलने का अवसर मिलेगा और हमारी आत्मा की पवित्रता बढ़ेगी।

6. नाम जप और भजन की शक्ति

प्रेमानंद जी महाराज ने नाम जप और भजन को आत्मा की पवित्रता के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया। वे कहते हैं, “राधा नाम जपने से जीवन का हर संकट समाप्त हो जाता है।” भजन करने से आत्मा शुद्ध होती है और भगवान के निकटता की अनुभूति होती है।

उदाहरण: जैसे राधा नाम का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, वैसे ही नियमित रूप से भजन करने से हम अपने भीतर भगवान की दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रेमानंद जी महाराज के उपदेशों को जीवन में उतारने से हम न केवल अपने जीवन को सरल और सुखमय बना सकते हैं, बल्कि आत्मज्ञान की ओर भी अग्रसर हो सकते हैं। उनका संदेश है कि भगवान की इच्छाओं के अनुसार जीवन जीना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में भगवान पर विश्वास बनाए रखना चाहिए। संकल्प, भक्ति, गुरु का आशीर्वाद, और नाम जप ये सभी हमें आत्मिक शांति और सच्चे सुख की ओर मार्गदर्शन करते हैं।

Leave a Comment

10 easy-to-find indoor plants गजेन्द्र मोक्ष पाठ: Benefits प्याज लहसुन खाना पाप नहीं है, फिर भी क्यों मना करते हैं? – प्रेमाानंद जी महाराज का स्पष्ट उत्तर Bajrang Baan Roz Padh Sakte Hai Ya Nahi?: Premanand Ji Maharaj Ne Bataya क्या नामजप करते समय मन कहीं और जाए तो भी मिलेगा समान फल?