Introduction
हमारे जीवन में कुछ आस्थाएँ और परंपराएँ होती हैं जो हमारी भक्ति और साधना को शुद्ध करने में मदद करती हैं। इन्हीं में से एक है प्याज और लहसुन का सेवन न करना, खासकर जब हम भजन मार्ग पर चल रहे होते हैं। Shri Hit Premanand Ji ने इस विषय पर विस्तार से अपनी बात रखी है। इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों प्याज और लहसुन को भजन मार्ग में निषेध माना जाता है और इसके सेवन से हमें क्या हानियाँ हो सकती हैं।
प्याज और लहसुन: तमोगुणी पदार्थ
प्याज और लहसुन को तमोगुण (Tamas guna) से संबंधित माना जाता है। तमोगुण वह गुण है जो हमारी मानसिक स्थिति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इस गुण के प्रभाव से आलस्य (Laziness), प्रमाद (Carelessness), और नींद (Sleepiness) जैसी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न होती हैं। जब कोई व्यक्ति इन गुणों से प्रभावित होता है, तो उसकी भक्ति और ध्यान की प्रवृत्तियाँ कमजोर हो जाती हैं। Shri Hit Premanand Ji के अनुसार, प्याज और लहसुन इन तमोगुणों को बढ़ाते हैं और इसी कारण इन्हें भजन मार्ग में निषेध किया गया है।
प्याज-लहसुन का सेवन और भजन की वृत्ति
भजन या साधना में हमारी वृत्तियाँ हमेशा सात्विक (Sattvik) होनी चाहिए। सात्विक भोजन हमारे शरीर और मन को शुद्ध करता है और ईश्वर के प्रति हमारी भक्ति को बल देता है। लेकिन प्याज और लहसुन का सेवन इन गुणों के विपरीत है। यह मानसिक विकारों को जन्म देता है और हमारी भक्ति में विघ्न डालता है। इसी कारण, संतों ने अनुभव से इसे त्यागने का उपदेश दिया है।
प्याज और लहसुन का सेवन: पाप नहीं, दोष है
कुछ लोग यह मानते हैं कि प्याज और लहसुन का सेवन पाप है, लेकिन Shri Hit Premanand Ji के अनुसार, यह पाप नहीं बल्कि दोष (Fault) है। प्याज और लहसुन का सेवन हमारे भीतर तमोगुण को बढ़ाता है, जिससे हमारी मानसिक स्थिति और भक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसका सीधा असर हमारे जीवन पर होता है।
हालांकि, यह भी सच है कि हर व्यक्ति की जीवनशैली अलग होती है। कई लोग नौकरी, पढ़ाई, या अन्य कार्यों के चलते बाहर का भोजन करते हैं। ऐसे में अगर कभी-कभी प्याज-लहसुन वाला भोजन करना पड़ता है, तो यह अत्यधिक गलत नहीं है, लेकिन इसके सेवन से जो मानसिक शांति और भक्ति में विघ्न आता है, वह अनदेखा नहीं किया जा सकता।
भजन और भगवान का भोग
God’s Prasadam (भगवान का प्रसाद) के लिए भी प्याज और लहसुन का सेवन निषेध है। जब हम भगवान को भोग अर्पित करते हैं, तो वह शुद्ध और सात्विक होना चाहिए, ताकि भगवान उसे स्वीकार करें। प्याज और लहसुन, जो तमोगुण से प्रभावित होते हैं, उन्हें भगवान के भोग में नहीं डालना चाहिए।
इसलिए, यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में भक्ति में वृद्धि हो, तो प्याज और लहसुन से बचना बेहतर है। यदि आपकी जीवनशैली और परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि आप बिना प्याज-लहसुन के भोजन नहीं कर सकते, तो कम से कम हर समय God’s Prasadam का ध्यान रखें और भगवान के नाम का जाप करते रहें।
क्या करें यदि आप प्याज-लहसुन का सेवन करते हैं?
अगर आप बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं या किसी कारणवश प्याज-लहसुन का सेवन करते हैं, तो Shri Hit Premanand Ji का सुझाव है कि आप इसे अपने जीवन का हिस्सा नहीं बनने दें। अगर आपको बाहर का भोजन लेना पड़े, तो आप prasad (प्रसाद) की महिमा का ध्यान रखें और हमेशा ईश्वर का नाम जाप करते रहें। इस तरह, आप अपनी भक्ति को शुद्ध बनाए रख सकते हैं।
निष्कर्ष
प्याज और लहसुन का सेवन भजन मार्ग में निषेध माना गया है क्योंकि ये तमोगुण को बढ़ाते हैं और हमारी भक्ति में विघ्न डालते हैं। हालांकि, हर व्यक्ति की परिस्थितियाँ अलग होती हैं, और अगर कभी-कभी ऐसा भोजन करना पड़े तो भी हमें अपनी भक्ति में कोई कमी नहीं आने देनी चाहिए। Shri Hit Premanand Ji के उपदेशों का पालन करते हुए, हम अपने जीवन को शुद्ध और भक्ति से भरपूर बना सकते हैं।
अंतिम शब्द
हमारे जीवन में संतों और शास्त्रों के उपदेश बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन उपदेशों से हम अपने जीवन को सही दिशा में मोड़ सकते हैं। प्याज-लहसुन के सेवन के बारे में Shri Hit Premanand Ji के विचारों को समझना और उन्हें जीवन में उतारना हमारी भक्ति को और भी अधिक गहरा कर सकता है।
FAQ: प्याज-लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए?
प्याज और लहसुन खाना पाप नहीं है, लेकिन इन्हें दोषपूर्ण (Faulty) माना जाता है क्योंकि ये तमोगुण (Tamas Guna) से संबंधित होते हैं। इनका सेवन मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और भक्ति में विघ्न डालता है। संतों ने इन्हें भजन मार्ग में त्यागने की सलाह दी है, ताकि हमारी भक्ति शुद्ध और सात्विक बनी रहे।
भजन मार्ग में प्याज और लहसुन का सेवन इसलिए निषेध है क्योंकि ये तमोगुण को बढ़ाते हैं। तमोगुण से मानसिक विकार जैसे आलस्य, प्रमाद, और निद्रा उत्पन्न होते हैं, जो हमारी ध्यान और भक्ति की वृत्तियों को कमजोर करते हैं। इसलिए संतों ने इन्हें त्यागने का उपदेश दिया है।
नहीं, प्याज और लहसुन का सेवन हमेशा निषेध नहीं है। यदि आपकी परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि आपको बाहर का भोजन करना पड़ता है (जैसे कॉलेज, ऑफिस या यात्रा के दौरान), तो यह आपकी भक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह पाप नहीं माना जाता। फिर भी, भक्ति में ध्यान रखने और God’s Prasadam (भगवान का प्रसाद) का महत्व समझने से हम इसे संतुलित कर सकते हैं।
जी हाँ, प्याज और लहसुन का सेवन मानसिक शांति में कमी ला सकता है, क्योंकि ये तमोगुण को बढ़ाते हैं। ये गुण आलस्य और मानसिक अव्यवस्था को जन्म देते हैं, जो भक्ति और ध्यान के मार्ग में रुकावट डाल सकते हैं। इसके कारण संतों ने इनसे दूर रहने की सलाह दी है।
प्याज और लहसुन का सेवन भक्ति में विघ्न डाल सकता है, क्योंकि ये तमोगुण को बढ़ाते हैं और हमारी मानसिक स्थिति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। यदि आप भक्ति के मार्ग पर हैं, तो इनका त्याग करने से आपकी भक्ति में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, यदि आपकी जीवनशैली ऐसी है कि आपको कभी-कभी इसका सेवन करना पड़े, तो इसे संयमित रूप से करें और भक्ति में कमी न आने दें।
यदि आप भजन और साधना के मार्ग पर हैं, तो प्याज और लहसुन से परहेज करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। संतों का यही उपदेश है कि सात्विक आहार और जीवनशैली अपनाकर भक्ति और ध्यान में शुद्धता लानी चाहिए। लेकिन यदि किसी कारणवश आपको इनका सेवन करना पड़े, तो इसे संयमित रूप से करें और भक्ति में कमी न आने दें।
नहीं, प्याज और लहसुन को भगवान के भोग (Prasadam) में नहीं डालना चाहिए। भगवान का भोग सात्विक होना चाहिए, ताकि वह ईश्वर द्वारा स्वीकार किया जाए। प्याज और लहसुन तमोगुण से संबंधित होते हैं और इन्हें भगवान के भोग में अर्पित करना उचित नहीं है।
जी हाँ, बिना प्याज और लहसुन के भोजन करना संभव है और यह एक सात्विक आहार की दिशा में एक अच्छा कदम है। अगर आपकी जीवनशैली और भोजन की आदतें ऐसा करने की अनुमति देती हैं, तो इसे अपनाने से भक्ति में शुद्धता और मानसिक शांति मिल सकती है।
यदि आप बाहर यात्रा पर हैं और आपको किसी कारणवश प्याज-लहसुन वाला भोजन लेना पड़ता है, तो यह पूरी तरह से गलत नहीं है। फिर भी, आपको अपनी मानसिक स्थिति और भक्ति पर ध्यान रखना चाहिए। जैसे ही अवसर मिले, God’s Prasadam (भगवान का प्रसाद) और नाम जप का अभ्यास करते रहें, ताकि आपकी भक्ति बनी रहे।
शारीरिक दृष्टिकोण से प्याज और लहसुन का सेवन नुकसान नहीं करता, बल्कि इनका सेवन पाचन शक्ति के लिए लाभकारी भी हो सकता है। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, प्याज और लहसुन का सेवन तमोगुण बढ़ाता है और भक्ति को प्रभावित करता है। यही कारण है कि संतों ने इनसे दूर रहने की सलाह दी है।