राधेश्याम दास (M. Tech., IIT, मुंबई) एक प्रसिद्ध धार्मिक नेता और ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) के प्रमुख प्रचारक हैं। उनका जीवन, शिक्षा, और कार्य विशेष रूप से युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। वे आज भारतीय समाज में वैदिक संस्कृतियों और भगवद गीता के प्रचार में अत्यधिक योगदान दे रहे हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
राधेश्याम दास का जन्म तमिलनाडु के मदुरै के पास एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, जो एक अंग्रेजी के प्रोफेसर थे, ने उन्हें महान साहित्यिक ग्रंथों से परिचित कराया, जिनमें शेक्सपियर, हेनरी डेविड थोरौ और चार्ल्स डिकेंस के लेख शामिल थे। इसके साथ ही, उन्हें भगवद गीता और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का भी ज्ञान मिला। उनका जीवन बचपन से ही धर्म और दर्शन की ओर आकर्षित रहा, जो बाद में उनके जीवन के उद्देश्य का रूप ले लिया।
राधेश्याम दास ने IIT मुंबई से M. Tech. की डिग्री प्राप्त की, और इसके बाद उन्होंने CECRI और THERMAX जैसी कंपनियों में मेकैनिकल इंजीनियर के तौर पर काम किया। हालांकि, उनकी आत्मा में एक गहरी आध्यात्मिक खोज थी, जो उन्हें अंततः श्रील प्रभुपाद के उपदेशों की ओर ले गई।
आध्यात्मिक यात्रा
1991 में, राधेश्याम दास ने ISKCON के प्रति अपनी आस्था का प्रकट किया और श्रील प्रभुपाद की पुस्तकों और उपदेशों से गहरी प्रेरणा प्राप्त की। उन्होंने 1994 में श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर, ISKCON चोपाटी में एक पूर्णकालिक ब्रह्मचारी के रूप में जीवन व्यतीत करना शुरू किया।
उनकी आध्यात्मिक यात्रा में विशेष रूप से HH राधानाथ स्वामी महाराज और HH भक्ति रसामृत स्वामी महाराज के साथ उनके मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान रहा। 1995 में उन्हें ISKCON पुणे में भेजा गया, जहाँ उन्होंने युवा वर्ग के बीच कृष्ण भक्ति का प्रचार करना शुरू किया।
ISKCON पुणे और VOICE (वेदिक ओएसिस फॉर इंस्पिरेशन, कल्चर एंड एजुकेशन)
1997 में, राधेश्याम दास को ISKCON पुणे के मंदिर का अध्यक्ष (Temple President) नियुक्त किया गया। इसके बाद, उन्होंने 2000 में VOICE (वेदिक ओएसिस फॉर इंस्पिरेशन, कल्चर एंड एजुकेशन) की स्थापना की, जो युवाओं के बीच कृष्णा चेतना का प्रचार करने वाला एक प्रमुख संगठन बन गया। 2003 में, इसे एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में पुनः नामित किया गया, जिसमें दैनिक जाप, नियमानुसार जीवन, और गतिशील प्रचार कार्य की व्यवस्था की गई।
2004 में, उन्होंने पुणे में एक राष्ट्रीय युवा महोत्सव (National Youth Festival) का आयोजन किया, जिसमें 5000 से अधिक युवा शामिल हुए। इस महोत्सव में श्रील प्रभुपाद के कई शिष्यों ने युवा वर्ग को अपनी शिक्षा और प्रेरणा दी।
नव वेदिक सांस्कृतिक केंद्र (NVCC)
राधेश्याम दास की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है NVCC (New Vedic Cultural Center) का निर्माण, जो पुणे के कात्रज-कोंधवा क्षेत्र में स्थित है। इस केंद्र में एक मंदिर, आयुर्वेदिक स्पा, योग केंद्र, और 3000 से अधिक भक्तों के लिए प्रसाद हॉल है। इसके अलावा, यह अनामृता कार्यक्रम के माध्यम से लाखों बच्चों और गरीबों को मुफ्त प्रसाद प्रदान करता है।
युवा शिक्षा और प्रबंधन
राधेश्याम दास ने युवाओं के लिए DYS (Discover Your Self) नामक एक पाठ्यक्रम भी तैयार किया, जो विज्ञान और आध्यात्मिकता का सम्मिलन करता है। यह पाठ्यक्रम युवाओं को मानसिक शांति और जीवन में उद्देश्यपूर्णता की ओर मार्गदर्शन करता है। इसके साथ ही, उन्होंने कई अन्य कोर्स भी तैयार किए, जैसे कि Bhakti Sastri और Bhakti Vaibhava।
वे SLATE (Servant Leaders Applied Training and Education) और MALT (Managers And Leaders Training) जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से ISKCON के युवाओं और नेताओं को प्रशिक्षण देते हैं।
अंतरराष्ट्रीय कार्य
राधेश्याम दास का कार्य केवल भारत तक सीमित नहीं है। वे प्रत्येक वर्ष अमेरिका के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों और मंदिरों में जाकर युवाओं को भगवद गीता और कृष्णा भक्ति के विषय में प्रेरित करते हैं। वे GBC के एक सदस्य के रूप में पश्चिमी देशों में युवा प्रचार की रणनीति और कार्यशैली को बेहतर बनाने में जुटे रहते हैं।
व्यक्तिगत जीवन और परिवार
राधेश्याम दास का परिवार धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत समर्पित रहा है। उनके पिता, जो एक प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री थे, ने उन्हें जीवन के शुरुआती वर्षों में धार्मिक ग्रंथों और दर्शन से परिचित कराया। राधेश्याम दास ने व्यक्तिगत जीवन में संयमित और तपस्वी जीवन जीते हुए अपने आत्मिक जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट किया है।
निष्कर्ष
राधेश्याम दास न केवल एक अद्वितीय आध्यात्मिक नेता हैं, बल्कि वे एक महान शिक्षक, प्रेरक और समाज सुधारक भी हैं। उनके योगदानों के कारण ही आज ISKCON पुणे और VOICE जैसे संगठनों ने लाखों युवाओं के जीवन को बदला है। उनके कार्यों से प्रेरित होकर, हजारों युवा आज कृष्ण भक्ति के रास्ते पर चल रहे हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं।
राधेश्याम दास – सामान्य प्रश्न (FAQ)
1. राधेश्याम दास कौन हैं?
राधेश्याम दास एक प्रसिद्ध ISKCON प्रचारक, शिक्षक और युवाओं के लिए प्रेरक हैं। वे ISKCON पुणे के अध्यक्ष और VOICE (वेदिक ओएसिस फॉर इंस्पिरेशन, कल्चर एंड एजुकेशन) के संस्थापक हैं। वे IIT मुंबई से M.Tech. पास हैं और जीवनभर भगवद गीता और कृष्ण भक्ति के प्रचार में जुटे हुए हैं।
2. राधेश्याम दास का जन्म कहां हुआ था?
राधेश्याम दास का जन्म तमिलनाडु के मदुरै शहर के पास एक धार्मिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके परिवार में धार्मिक शिक्षा और संस्कारों का बहुत महत्व था।
3. राधेश्याम दास ने किस संस्था से जुड़कर कार्य करना शुरू किया?
राधेश्याम दास ने 1991 में ISKCON से जुड़कर श्रील प्रभुपाद के उपदेशों का अनुसरण करना शुरू किया। वे 1994 से पूर्णकालिक ब्रह्मचारी के रूप में ISKCON के विभिन्न मंदिरों में कार्य करने लगे।
4. राधेश्याम दास के द्वारा स्थापित VOICE क्या है?
VOICE (वेदिक ओएसिस फॉर इंस्पिरेशन, कल्चर एंड एजुकेशन) एक युवा संगठन है जो युवाओं को कृष्ण भक्ति और वैदिक संस्कृतियों से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है। यह संस्था विशेष रूप से भारत के प्रमुख शहरों में युवाओं के बीच गहरी प्रभाव छोड़ रही है।
5. राधेश्याम दास का प्रमुख कार्यक्षेत्र क्या है?
राधेश्याम दास का प्रमुख कार्यक्षेत्र युवाओं को कृष्णा चेतना और भगवद गीता के माध्यम से आध्यात्मिक शिक्षा देना है। वे विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
6. राधेश्याम दास के द्वारा डिजाइन किया गया DYS कोर्स क्या है?
DYS (Discover Your Self) एक कोर्स है जो युवाओं और कॉर्पोरेट्स को आध्यात्मिकता और विज्ञान का सम्मिलन सिखाता है। यह कोर्स मानसिक शांति, नेतृत्व और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है।