स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज (Swami Rajeshwaranand Saraswati Ji Maharaj), जिन्हें श्रद्धापूर्वक “राजेश रामायणी” के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रख्यात रामकथा वाचक, समाजसेवी एवं सनातन धर्म के महान प्रचारक थे। उनका जीवन भक्ति, ज्ञान और सेवा का अद्वितीय संगम था।
👶 प्रारंभिक जीवन
स्वामी राजेश्वरानंद जी का जन्म 22 सितंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के ग्राम पचोखरा में हुआ था। उनके पिता श्री अमरदान शर्मा एक भक्तिपूर्ण भजन गायक थे, जबकि माता श्रीमती शांति देवी धार्मिक विचारों वाली थीं। ऐसे आध्यात्मिक वातावरण में बालक राजेश ने भक्ति और धर्म का ज्ञान बचपन से ही आत्मसात कर लिया।
📚 शिक्षा और आध्यात्मिक दीक्षा

राजेश्वरानंद जी ने प्रारंभिक शिक्षा नेरो जूनियर हाई स्कूल में प्राप्त की। यहीं पर उन्होंने रामचरितमानस की चौपाइयों और भजनों का पाठ करना आरंभ किया। मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होंने स्वामी अविनाशी राम जी से दीक्षा ली और रामकथा के गूढ़ रहस्यों का अध्ययन आरंभ किया।
🕉️ रामकथा और समाज में योगदान
स्वामी जी की रामकथाएं देश और विदेश में अत्यंत लोकप्रिय रहीं। उनकी वाणी में भाव, भक्ति और विवेक का अद्भुत संगम होता था। उन्होंने श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों को जीवन के व्यावहारिक पहलुओं से जोड़कर प्रस्तुत किया। उनकी कथाओं में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया।
🏥 समाज सेवा में अग्रणी भूमिका
- पचोखरा गांव में भगवान शंकर का भव्य मंदिर निर्माण
- एक नि:शुल्क आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थापना
- निर्धनों को भोजन, वस्त्र एवं दवाइयों का वितरण
- गौ सेवा एवं नारी शिक्षा को प्रोत्साहन
👨👩👧👦 परिवार
स्वामी जी गृहस्थ संत थे।
- उनके पुत्र श्री गुरु प्रसाद शर्मा ग्राम प्रधान हैं।
- पुत्री दीदी भक्ति प्रभा रामकथा एवं हनुमान कथा करती हैं।
- छोटे भाई विवेकानंद जी महाराज कथाओं में उनके सहयोगी रहे।
🕯️ राजेश्वरानंद जी का निधन कब हुआ?

स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज का निधन 10 जनवरी 2019 को छत्तीसगढ़ में एक कथा के दौरान हुआ। कथा करते समय ही उन्हें हृदयगति रुकने का आभास हुआ और वे प्रभु श्रीराम के चरणों में लीन हो गए।
⚰️ राजेश्वरानंद जी का अंतिम संस्कार
उनका पार्थिव शरीर उनके गृह ग्राम पचोखरा लाया गया, जहाँ हज़ारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में उनका अंतिम संस्कार पूर्ण वैदिक विधि से किया गया। श्रद्धांजलि सभा में देशभर के साधु-संतों, कथा वाचकों और राजनेताओं ने भाग लिया।
🌐 राजेश्वरानंद जी महाराज विकिपीडिया जानकारी
वर्तमान में स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज की जीवनी से संबंधित जानकारी विकिपीडिया पर सीमित है। लेकिन उनकी कथा, समाजसेवा और भक्ति संदेशों को विभिन्न वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनलों जैसे “जीवनधन” और “कथास्तर” पर देखा और सुना जा सकता है।
🎧 स्वामी जी के भजन और रामकथा कहाँ सुनें?
- यूट्यूब चैनल: जीवनधन
- फेसबुक पेज: राजेश रामायणी कथा
🔍 निष्कर्ष
स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज न केवल एक रामकथा वाचक थे, बल्कि उन्होंने अपने जीवन से यह दिखाया कि धर्म का वास्तविक स्वरूप सेवा, करुणा और त्याग है। उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
🙋♂️ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज
❓ स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज कौन थे?
उत्तर: स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज एक प्रसिद्ध रामकथा वाचक, समाजसेवी और आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्हें “राजेश रामायणी” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने देश-विदेश में रामकथाओं के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार किया।
❓ राजेश्वरानंद जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: स्वामी जी का जन्म 22 सितंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के पचोखरा गाँव में हुआ था।
❓ राजेश्वरानंद जी का निधन कब हुआ?
उत्तर: स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज का निधन 10 जनवरी 2019 को छत्तीसगढ़ में एक रामकथा के दौरान हृदयगति रुकने के कारण हुआ।
❓ राजेश्वरानंद जी का अंतिम संस्कार कहाँ हुआ?
उत्तर: उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाँव पचोखरा (जालौन, उत्तर प्रदेश) में हज़ारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में वैदिक रीति से संपन्न हुआ।
❓ क्या राजेश्वरानंद जी महाराज की जानकारी विकिपीडिया पर उपलब्ध है?
उत्तर: वर्तमान में उनकी विस्तृत जानकारी विकिपीडिया पर सीमित है, लेकिन उनकी जीवनी, कथाएं और भजन विभिन्न वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनलों पर उपलब्ध हैं।
❓ स्वामी राजेश्वरानंद जी के प्रमुख योगदान क्या हैं?
उत्तर: स्वामी जी ने श्रीरामकथा के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति फैलाई, एक नि:शुल्क अस्पताल, शिव मंदिर और सामाजिक सेवा के कई कार्य किए। वे संत, समाजसेवी और प्रेरक वक्ता के रूप में प्रसिद्ध थे।
❓ राजेश्वरानंद जी के परिवार में कौन-कौन हैं?
उत्तर: उनके पुत्र श्री गुरु प्रसाद शर्मा ग्राम प्रधान हैं, पुत्री दीदी भक्ति प्रभा रामकथा करती हैं, और छोटे भाई विवेकानंद जी महाराज भी कथावाचक हैं।