ऋषि अजय दास किन्नर समाज के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं। उन्होंने 2015 में उज्जैन में किन्नर अखाड़ा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य किन्नर समुदाय को धार्मिक पहचान और सम्मान प्रदान करना था। किन्नरों के लिए एक मंच तैयार करने के उद्देश्य से उन्होंने यह अखाड़ा स्थापित किया, जिससे किन्नर समुदाय को समाज में अपना स्थान मिल सके।

किन्नर अखाड़े की स्थापना
ऋषि अजय दास ने 2015 में उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े की स्थापना की थी। उनका मानना था कि किन्नर समाज को धार्मिक दृष्टि से समान सम्मान मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने उन किन्नरों को भी शामिल किया, जिन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाया था, ताकि वे भी अपने धर्म के प्रति सम्मान महसूस कर सकें।
किन्नर अखाड़े में विवाद
किन्नर अखाड़े के भीतर हमेशा विवादों का सिलसिला चलता रहा है। विशेषकर जब ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने का मामला सामने आया, तो ऋषि अजय दास ने इस कदम को गलत मानते हुए उन्हें पद से हटा दिया। इसके अलावा, उन्होंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी पदमुक्त किया, जो किन्नर अखाड़े के पहले महामंडलेश्वर थे। अजय दास का कहना था कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनके आदेशों की अवहेलना की और ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किया, जो उनके विचार से अनुचित था।
धार्मिक उद्देश्य और विवादों के बीच यात्रा
ऋषि अजय दास की यात्रा हमेशा विवादों और विरोधों से घिरी रही है, लेकिन उनका उद्देश्य स्पष्ट था — किन्नर समाज का उत्थान और उसे समाज में उचित स्थान दिलाना। हालांकि, उनकी कई किताबों और सार्वजनिक बयानों ने भी विवादों को जन्म दिया है, जैसे कि उनकी पुस्तक ‘विवाह एक नैतिक बलात्कार’, जिसे लेकर धार्मिक संगठनों ने विरोध जताया था। इस विवाद ने उन्हें और भी ज्यादा सुर्खियों में ला दिया था।
किन्नर अखाड़े का महत्व
ऋषि अजय दास का मानना है कि किन्नर अखाड़ा समाज में किन्नरों के लिए एक धार्मिक स्थान प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। अखाड़े का उद्देश्य केवल धार्मिक पहचान ही नहीं, बल्कि किन्नरों के लिए समाज में सम्मान और अधिकार भी हासिल करना है। उनका कहना है कि किन्नरों को सशक्त बनाने के लिए यह कदम उठाया गया था और उनका उद्देश्य समाज में किन्नरों के प्रति भेदभाव को समाप्त करना था।
भविष्य की दिशा
ऋषि अजय दास ने किन्नर अखाड़े की स्थापना तो की, लेकिन वह अब भी विवादों से दूर नहीं हैं। उनके भविष्य के कार्यों का निर्णय समय ही करेगा, लेकिन उनके द्वारा उठाए गए कदम और उनकी स्थापना ने किन्नर समुदाय के लिए एक नया रास्ता खोला है। किन्नर अखाड़े का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह अब पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि समाज और उनके अनुयायी किस तरह से इस संस्थान को आगे बढ़ाते हैं।
Frequently Asked Questions (FAQ)
ऋषि अजय दास कौन हैं?
ऋषि अजय दास किन्नर अखाड़े के संस्थापक हैं। उन्होंने 2015 में उज्जैन कुंभ मेले के दौरान किन्नर अखाड़े की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य किन्नर समुदाय को धार्मिक पहचान और समाज में सम्मान दिलाना था।
किन्नर अखाड़े की स्थापना कब और क्यों की गई थी?
किन्नर अखाड़े की स्थापना 2015 में उज्जैन में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए एक मंच प्रदान करना था। ऋषि अजय दास ने इसे किन्नरों को उनकी धार्मिक पहचान देने और समाज में सम्मान दिलाने के लिए स्थापित किया था।
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर का पद क्यों दिया गया था और फिर क्यों हटा लिया गया?
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद पर नियुक्ति के बाद विवाद उठा था। ऋषि अजय दास ने आरोप लगाया कि इस पद की नियुक्ति प्रक्रिया सही नहीं थी और ममता के खिलाफ देशद्रोह का आरोप भी था। इसके चलते उन्होंने उन्हें इस पद से हटा दिया।
किन्नर अखाड़े में ऋषि अजय दास और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बीच विवाद क्यों हुआ?
ऋषि अजय दास और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया। अजय दास ने इसे अनुचित करार दिया और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े से हटा दिया, जबकि लक्ष्मी ने दावा किया कि अजय दास को पहले ही अखाड़े से निष्कासित किया गया था।