समर्थ दादा गुरु: जीवन, साधना, और रिकॉर्ड – एक अलौकिक संत की प्रेरणादायक यात्रा

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Introduction: समर्थ दादा गुरु, जिनका असली नाम भैया जी सरकार है, एक ऐसे संत हैं जिन्होंने अपनी साधना, तपस्या और पर्यावरण संरक्षण के लिए न केवल देश भर में बल्कि दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की है। उनका जीवन, नर्मदा नदी के संरक्षण, और अन्न त्यागने की साधना के कारण, सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। इस लेख में हम जानेंगे, समर्थ दादा गुरु के जीवन के बारे में, उनकी साधना, उनके द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड, और वो क्यों प्रसिद्ध हैं।

समर्थ दादा गुरु और उनके भक्त नर्मदा परिक्रमा में शामिल

समर्थ दादा गुरु का जीवन परिचय (Biography)

नाम: समर्थ दादा गुरु (भैया जी सरकार)
जन्म स्थान: मध्य प्रदेश, भारत
आयु: अनुमानित 40-45 वर्ष
धर्म: हिंदू, योगी, संत
विशेषताएँ: नर्मदा जल पर जीवनयापन, 35 महीने से निराहार व्रत, पर्यावरण संरक्षण में योगदान

जीवन की शुरुआत और साधना की दिशा: समर्थ दादा गुरु ने बचपन से ही ध्यान, योग और साधना में रुचि दिखाई थी। उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था, न केवल व्यक्तिगत उत्थान बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए कार्य करना। उन्होंने 17 अक्टूबर 2020 से अन्न का त्याग कर, केवल नर्मदा के जल पर जीवनयापन करना शुरू किया। उनका मानना है कि जब एक व्यक्ति प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ता है, तो वह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होता है।

समर्थ दादा गुरु क्यों प्रसिद्ध हैं?

समर्थ दादा गुरु नर्मदा जल पीते हुए, अन्न त्याग करने के बाद

1. नर्मदा जल पर जीवनयापन (37 महीने से सिर्फ नर्मदा जल): समर्थ दादा गुरु पिछले 37 महीनों से सिर्फ नर्मदा जल पर जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने अन्न का त्याग किया और केवल नर्मदा नदी के पवित्र जल का सेवन किया है। इस दौरान उनकी शारीरिक ऊर्जा में कोई कमी नहीं आई, और वह दिन-ब-दिन अधिक ऊर्जावान होते गए।

2. पर्यावरण और नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए समर्पण: दादा गुरु नर्मदा नदी के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझते हुए लोगों को इसके प्रति जागरूक करते हैं। वे पर्यावरण बचाने के लिए निरंतर यात्रा करते हैं और लोगों को नदी, वन और मिट्टी के महत्व के बारे में बताने का प्रयास करते हैं।

3. योग और साधना के प्रति समर्पण: दादा गुरु ने अपनी साधना के जरिए योग और ध्यान को अपनी जीवनशैली बना लिया है। उनका यह उद्देश्य है कि लोग सिर्फ भौतिक सुखों से परे, आध्यात्मिक रूप से समृद्ध हों।

समर्थ दादा गुरु ने क्या रिकॉर्ड बनाए हैं?

1. 2.5 लाख किलोमीटर की पदयात्रा: दादा गुरु ने अब तक करीब 2.5 लाख किलोमीटर की पदयात्रा की है। इस दौरान उन्होंने देशभर के गांवों और शहरों में यात्रा की, जहां उन्होंने नर्मदा नदी के महत्व और उसके संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया।

2. नर्मदा परिक्रमा (3200 किलोमीटर): उन्होंने नर्मदा नदी की परिक्रमा (जिसकी लंबाई 3200 किलोमीटर है) पूरी की, जो एक अभूतपूर्व कार्य है। यह उनकी आस्था, शक्ति और समर्पण को दर्शाता है।

3. रक्तदान रिकॉर्ड: यह भी एक अजीब तथ्य है कि दादा गुरु ने बिना भोजन के रहते हुए, तीन बार रक्तदान भी किया। यह उनके शरीर की अद्भुत ऊर्जा और तपस्या का प्रमाण है।

समर्थ दादा गुरु की साधना और व्रत:

साधना की शुरुआत: समर्थ दादा गुरु ने 17 अक्टूबर 2020 को अन्न का त्याग करने का संकल्प लिया था। इसके बाद से उन्होंने केवल नर्मदा जल पर जीवनयापन करना शुरू किया। इस कठोर तपस्या का उद्देश्य था – न केवल अपनी साधना को परिपूर्ण करना, बल्कि नर्मदा नदी और पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी जागरूकता फैलाना।

अन्न त्याग का महत्व: उनका कहना है कि प्रकृति के समीप रहने से आत्मिक शांति और शुद्धता प्राप्त होती है। वे यह मानते हैं कि अन्न से अधिक महत्वपूर्ण है – जल और मिट्टी से जुड़ाव, क्योंकि यही जीवन का असली स्रोत है।

समर्थ दादा गुरु के साथ जुड़ने वाले अनुयायी (Followers)

दादा गुरु के साथ यात्रा करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उनके साथ हर आयु वर्ग के लोग यात्रा करते हैं – 13 साल के बच्चे से लेकर 90 साल के बुजुर्ग भी उनके साथ चलने के लिए तैयार रहते हैं। उनके अनुयायी उन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ “दादा गुरु” के रूप में पूजते हैं।

समर्थ दादा गुरु पर शोध:

समर्थ दादा गुरु पर शोध : सिर्फ नर्मदा के जल पर कैसे जिंदा हैं संत दादा गुरु,

समर्थ दादा गुरु की अद्भुत साधना और उनके शरीर के परफॉर्मेंस को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने शोध करने का निर्णय लिया। विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है, जो दादा गुरु के शरीर की जांच करेगी – जैसे पल्स, ब्‍लड प्रेशर, ईसीजी, आदि। यह शोध यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि नर्मदा जल में कौन से तत्व हैं, जो किसी व्यक्ति को लंबे समय तक बिना अन्न के जीवित रहने में सक्षम बनाते हैं।

समर्थ दादा गुरु से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:

  • साधना की कठिनाई: 35 महीने से केवल जल पर जीवनयापन करना और लगातार यात्राएं करना आसान नहीं होता। यह उनकी मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है।
  • पर्यावरण संरक्षण: दादा गुरु ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी पूरी जीवनशैली समर्पित कर दी है। वे नर्मदा नदी, जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के बचाव के लिए प्रयासरत हैं।
  • प्रेरणा स्रोत: दादा गुरु का जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में साधना, तपस्या और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझना चाहते हैं।

निष्कर्ष:

समर्थ दादा गुरु एक जीवित साधना हैं, जो हमें यह सिखाते हैं कि आध्यात्मिक शक्ति, प्रकृति के साथ संतुलन, और तपस्या से हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं। उनकी यात्रा केवल एक भक्ति यात्रा नहीं, बल्कि एक गहरी शिक्षा है जो हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करती है। दादा गुरु का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो किसी भी कठिन साधना को संभव बनाया जा सकता है।

समर्थ दादा गुरु: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

समर्थ दादा गुरु एक महान संत और योगी हैं जो पिछले कई वर्षों से नर्मदा जल पर निर्भर होकर अपना जीवन बिता रहे हैं। वे नर्मदा नदी के संरक्षण और पर्यावरण सुधार के लिए समर्पित हैं।
दादा गुरु ने 17 अक्टूबर 2020 से अन्न का त्याग कर दिया और केवल नर्मदा जल पर निर्भर हैं। वे इस व्रत पर अब 37 महीने से अधिक समय से हैं।
दादा गुरु का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी का संरक्षण करना, पर्यावरण जागरूकता फैलाना और प्राकृतिक संसाधनों का महत्व समझाना है। वे नर्मदा जल पर निर्भर रहते हुए इस संदेश को फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
दादा गुरु ने 2.5 लाख किलोमीटर की यात्रा की है, और वे लगातार 37 महीने से नर्मदा जल पर निर्भर रहकर जीवन बिता रहे हैं। उन्होंने 3200 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा भी की है।
दादा गुरु की ऊर्जा और स्वास्थ्य ने विज्ञान को भी चमत्कृत कर दिया है। उनका शरीर केवल नर्मदा जल पर निर्भर होकर अत्यधिक ऊर्जा से भरपूर है, जो उनकी साधना और योग की शक्ति को दर्शाता है।

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