परिचय:
आजकल के दौर में, लव मैरिज और रिश्तों को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं। विशेषकर जब बात होती है पवित्रता और दीर्घकालिक समर्पण की, तो लोग अक्सर भ्रमित हो जाते हैं। ऐसे समय में स्वामी प्रेमानंद जी महाराज द्वारा दिया गया एक दिव्य संदेश उन लोगों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है, जो अपने जीवनसाथी के साथ अपने रिश्ते की पवित्रता और प्रेम के सही अर्थ को समझना चाहते हैं।
स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का उत्तर:
वीडियो में एक व्यक्ति ने स्वामी प्रेमानंद जी महाराज से सवाल किया कि उसने और उसकी धर्मपत्नी ने लव मैरिज की थी और 9 साल तक रिलेशनशिप में रहे थे। परंतु, वे शादी से पहले शारीरिक संबंध बना चुके थे। बाद में माता-पिता की इच्छा से उन्होंने शादी कर ली, लेकिन अब उसे पछतावा हो रहा था कि शारीरिक संबंध शादी से पहले क्यों बनाए।
इस पर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े सरल और गहरे शब्दों में उत्तर दिया, “तुमने जिस व्यक्ति से प्रेम किया, वही तुम्हारी अर्धांगिनी बनी, और यही सबसे बढ़िया है। इसलिए तुम्हें किसी प्रकार का पछतावा नहीं होना चाहिए। तुम्हें अब अपने रिश्ते को पवित्र और भगवान की भक्ति की ओर मोड़ना चाहिए। तुम्हारा प्यार सार्थक हो जाएगा यदि तुम दोनों भगवान की शरण में चलकर अपना जीवन उनके मार्ग पर समर्पित कर दोगे।”
स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का प्रमुख संदेश:
- पवित्रता और प्रेम का सही मार्ग: स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने स्पष्ट किया कि आजकल के प्यार के स्वरूप अधिकतर दिखावा और वासना से भरे होते हैं, जो अक्सर ब्रेकअप और निरंतर असंतोष का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि अगर तुम किसी से प्रेम करते हो, तो यह प्रेम जीवनभर के लिए होना चाहिए और उसे पवित्र रखना चाहिए। अगर तुम किसी से प्रेम करते हो तो अपनी आत्मा को पवित्र रखो, क्योंकि आजकल लोग केवल प्रेम का दिखावा करते हैं, सच्चा प्रेम नहीं करते। इसलिए, अपनी पवित्रता को बनाए रखो। अगर तुम्हारा साथी तुम्हारे साथ प्रेम का नाटक कर रहा है, तो अगर तुम पवित्र रहोगे, तो तुम अपने माता-पिता द्वारा चुने हुए व्यक्ति के साथ अपनी पवित्र ज़िन्दगी भी बिता सकते हो।
- अस्थिर रिश्तों का नुकसान: स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी अपनी असहमति जाहिर की। उनका मानना था कि आजकल के लोग अपने शरीर को खिलवाड़ समझते हैं और किसी के साथ रिश्ते में आने के बाद जल्द ही उसे खत्म कर देते हैं। इस प्रवृत्ति को गलत बताते हुए, उन्होंने कहा कि अगर आपने किसी से प्यार किया है, तो यह केवल कुछ समय का मनोरंजन नहीं है। यह एक जीवनभर के लिए समर्पण होना चाहिए।
- रिश्तों में धैर्य और सहनशीलता: स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि हर रिश्ते में कुछ मुश्किलें आती हैं, लेकिन किसी भी छोटी-मोटी समस्या को लेकर तलाक या रिश्ते का अंत करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवनसाथी के साथ एक-दूसरे की छोटी-छोटी गलतियों को सहन करना चाहिए और समय के साथ समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
- भगवान की भक्ति से रिश्ते को पवित्र बनाना: महाराज जी ने बताया कि जो भी प्रेम या रिश्ते हैं, उन्हें भगवान की भक्ति से जोड़ने से जीवन पवित्र बनता है। उन्होंने कहा, “अगर तुम दोनों भगवान के मार्ग पर चलने का निर्णय लेते हो, तो तुम्हारा प्रेम और भी पवित्र हो जाएगा और तुम दोनों भगवान के पास पहुँच जाओगे।”
प्रेम और विवाह के बीच अंतर:
स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी स्पष्ट किया कि लव मैरिज का मतलब सिर्फ शारीरिक आकर्षण या वासना नहीं होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपनी प्रेमिका/प्रेमी से विवाह करता है, तो यह निर्णय जीवनभर के लिए होना चाहिए, न कि किसी एक साल या कुछ समय बाद ब्रेकअप की स्थिति में बदलने वाला। प्रेम का असली अर्थ, वह स्थायित्व और समर्पण है, जिसे भगवान के मार्ग में आत्मसात किया जाता है।
समाप्ति:
आखिरकार, स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का यह संदेश हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने हमें यह समझाया कि प्रेम केवल शारीरिक आकर्षण तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह जीवनभर के लिए एक सामंजस्यपूर्ण और समर्पित संबंध है। अगर हम अपने रिश्तों को भगवान की भक्ति और प्रेम के साथ जोड़ते हैं, तो वह न केवल पवित्र होंगे, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं में सुख और शांति भी लाएंगे।
हम सभी को अपने जीवन में प्रेम और रिश्तों को सही दिशा में संजीदगी से अपनाने की आवश्यकता है। सही मार्ग पर चलकर ही हम अपने जीवन को सही मायनों में सफल और सार्थक बना सकते हैं।
नोट:
यह लेख स्वामी प्रेमानंद जी महाराज के विचारों और शिक्षाओं पर आधारित है, और यह समझाने का प्रयास करता है कि जीवन में प्यार और रिश्तों को पवित्रता, समर्पण और भगवान की भक्ति के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है।