Premanand Ji Maharaj
प्रेमाानंद जी महाराज के अनुसार, प्याज और लहसुन खाना कोई पाप नहीं है। यह एक सामान्य आहार है जिसे अधिकांश लोग अपने भोजन में शामिल करते हैं।
लेकिन, क्यों मना किया जाता है?
वहीं, कुछ लोग इसे अपनी धार्मिक या आध्यात्मिक जीवनशैली में नहीं शामिल करते हैं। इसका कारण क्या है?
प्रेमाानंद जी महाराज के अनुसार, प्याज और लहसुन का सेवन "तमोगुण" (नकारात्मक ऊर्जा) से जुड़ा हुआ है। यह मानसिक और शारीरिक दृष्टि से अत्यधिक उत्तेजक हो सकता है।
यह ऊर्जा हमारी भक्ति और साधना में विघ्न डाल सकती है। यदि आप उच्चतम ध्यान और साधना की ओर बढ़ रहे हैं, तो तमोगुण से बचने के लिए इनका त्याग किया जाता है।
प्रेमाानंद जी महाराज कहते हैं कि शुद्ध आहार ही आत्मा को शुद्ध करता है। प्याज और लहसुन जैसी चीजें शरीर और मन पर हल्का दुष्प्रभाव डाल सकती हैं।
क्या नौकरी और पैसे की दौड़ में रहने वाले युवाओं को यह मना करना उचित है? आजकल के जीवन में, जहां रोज़मर्रा की जरूरतें ज्यादा हैं, क्या हम इसे पूरी तरह से त्याग सकते हैं?
यदि आपकी जीवनशैली ऐसी है कि आप बिना प्याज और लहसुन के रह सकते हैं, तो यह सर्वोत्तम है। लेकिन यह सब आपकी सुविधा और इच्छाओं पर निर्भर करता है।
प्रेमाानंद जी महाराज के अनुसार, भगवान का भोग बिना प्याज और लहसुन के ही बनता है, क्योंकि यह सात्विकता के अनुरूप होता है। भोग की शुद्धता से ही भगवान का आशीर्वाद मिलता है